मध्यप्रदेश के वित्तमंत्रीजी ने जो बजट पेश किया है इसमें उन्होंने प्रत्येक परिवार को एक घर की धारणा को तो भुला ही दिया है .. उन्होंने रजिस्ट्री में 1 % अतिरिक्त नगरनिगम कर में वृद्धि करके संपत्ति के मूल्यों में और इजाफा ही किया है .इसके साथ ही जो उपकर 0 .125 % था उसको बढ़ा कर 0 .5% कर दिया है याने लगभग 1 .375 % की वृद्धि प्रस्तावित है किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री पर ...पहले प्रदेश में 10 -11 % तक रजिस्ट्रेशन शुल्क लगता था ..उसको अन्य प्रदेशों और केंद्र की सलाह पर 5 % तक किया जाना था वर्तमान में किसी भी संपत्ति की खरीदी पर 8 % के करीब रजिस्ट्रेशन शुल्क लगता है अब यह बढ़ कर 9 .% से अधिक हो जायेगा....पिछले 5 वर्षों से गाइड लाइन में बेतहाशा वृद्धि करके सरकार ने पहले ही रजिस्ट्री के माध्यम में होने वाले राजस्व में कमी कर ली है ...अब यह वृद्धि इस दिशा में एक और अवरोध बन जाएगी ..वित्तमंत्री जी यदि गाइड लाइन को यथार्थ के आसपास लाएं तो शायद राजस्व में काफी वृद्धि हो सकती है ..बजट में प्रस्तावित कर वृद्दि को रोक भी दें और गाइड लाइन को कम करके उससे अधिक राजस्व पाया जा सकता है क्योंकि अभी काफी लोग रजिस्ट्री से दूर हैं. केवल बैंक लोन या अन्य क़ानूनी प्रक्रिया में उलझे लोग ही रजिस्ट्री करा रहें है ..काफी लोगो ने रजिस्ट्री के विकल्प तलाश कर उनपर ही अपना व्यवहार किया है .इससे सम्पतियों का टर्नओवर बंद ही हो गया है ....यदि वित्तमंत्री जी सम्पत्तियों से अधिक राजस्व की अपेक्षा रखते हैं तो उनको इस कर वृद्धि और गाइड लाइन की समीक्षा पर ध्यान देना होगा .
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