शवयात्रा में लोग
आजकल शवयात्रा में जो लोग इक्कठा होते हें उनमे से अधिकतर केवल खड़े रह कर बातें करते रहते है . शोकाकुल परिवार के साथ कुछ लोग तो लगे रहते है . उनको सांत्वना बंधाते है . उनके परिवार के लोगो को सँभालते है . कुछ लोग शवयात्रा के तय्यारी भी करते है . लेकिन अधिकांश लोग केवल औपचारिकता निभाने के लिए आते है खड़े रहते है . मोबाइल पर बतियाते रहते है या फिर ग्रुप बनाकर अपनी चर्चा में व्यस्त होते हें .
इसके बाद जब शवयात्रा शुरू होती है तो अपने ग्रुप के साथ बतियाते हुए चलते है . शवयात्रा में जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य होता है की वो मृतक को कन्धा दे. पर देखा ये जाता है की केवल कुछ लोग ही अर्थी को कन्धा देते है और वही लोग बार बार आगे पीछे होकर उस अर्थी को शमशान तक ले जाते है . मौसम गर्मी या बरसात का हो तो और हॉल ख़राब हो जाता है . लेकिन पीछे चलने वाले काफी लोगों में से कोई भी आगे नहीं आते और अर्थी को कन्धा नहीं देते . देख कर बड़ा दुःख होता है . यदि शवयात्रा में शामिल सभी लोग अर्थी को कन्धा बारी बारी से दें तो केवल कुछ लोगो पर ही उसका भर नहीं पड़ेगा और सभी का शवयात्रा में शामिल होना भी सार्थक होगा .
आप लोग इस विषय पर क्या सोचते है अपनी प्रतिक्रिया जरुर लिखे.
No comments:
Post a Comment